म्यूच्यूअल फण्ड स्टॉक में इन्वेस्ट करने का इनडायरेक्ट तरीका होता है | इक्विटी फण्ड, म्यूच्यूअल फण्ड का एक विकल्प है | तो चलिए जानते है Equity Fund क्या है और ये कितनें तरह के होते है ?
इक्विटी फण्ड लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न देता है लेकिन इसमें रिस्क भी होता है क्योकिं इस फण्ड का पैसा शेयर बाजार में ट्रैड होने वाले शेयरों में इन्वेस्ट किया जाता है | इक्विटी फण्ड आपको 14% - 15% का औसत रिटर्न दे सकती है |
इसके साथ ही फण्ड हाउस या एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के स्टाइल के आधार पर भी म्यूच्यूअल फण्ड कई प्रकार के हो सकते है |
इस प्रकार जो फण्ड ज्यादा मार्केट कैप वाले अच्छी कंपनियों में पैसा लगाती है उसे लार्ज कैप फण्ड कहते है | इसमें बाजार का उतार-चढाव थोड़ा कम होता है |
वहीं जो फण्ड मीडियम कैप व स्मालकैप वाले कंपनियों में पैसा लगाती है उसे क्रमशः मिड कैप व स्मालकैप फण्ड कहते है | इन फण्ड में बाज़ार के ऊपर-नीचें होने पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है |
जबकि डाइवर्सिफाइड फण्ड में लगाया पैसा अलग-अलग सेक्टर के कंपनियों में इन्वेस्ट किया जाता है इसलिए इसमें जोखिम सेक्टर फण्ड की तुलना में कम हो जाता है |
थीमेटिक फण्ड का पैसा एक थीम को फॉलो करके लगाया जाता है | जैसे स्टार्टअप आदि |
जबकि पैसिव फण्ड उसे कहते है जिसमे फण्ड मैनेजर इंडेक्स ( सेंसेक्स व निफ्टी आदि) के कंपनियों में निवेश करता है जिससे इसका रिटर्न भी इंडेक्स के समान ही आता है इसलिए इस फण्ड को इंडेक्स फण्ड भी कहते है|
Equity Fund क्या है ?
इक्विटी फण्ड, म्यूच्यूअल फण्ड का एक विकल्प है | इसमें इन्वेस्ट किया गया पैसा कंपनियों के शेयर में लगाया जाता है इसलिए इसे इक्विटी फण्ड कहते है | जब एक फण्ड का 65% या उससे अधिक पैसा शेयरों में निवेश किया जाता है तो उसे इक्विटी फण्ड कहा जाता है | इसके शेष 35% या कम राशि को डेट सिक्योरिटीज या इंस्ट्रूमेंट में लगाया जाता है |इक्विटी फण्ड लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न देता है लेकिन इसमें रिस्क भी होता है क्योकिं इस फण्ड का पैसा शेयर बाजार में ट्रैड होने वाले शेयरों में इन्वेस्ट किया जाता है | इक्विटी फण्ड आपको 14% - 15% का औसत रिटर्न दे सकती है |
Equity Fund कितनें प्रकार के होते है
म्यूच्यूअल फण्ड अलग-अलग प्रकार के होते है क्योकिं कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन कम या ज्यादा होता है | और ये कंपनियां विभिन्न सेक्टर या इंडस्ट्री की हो सकती है |इसके साथ ही फण्ड हाउस या एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के स्टाइल के आधार पर भी म्यूच्यूअल फण्ड कई प्रकार के हो सकते है |
स्माल कैप, मिड कैप, लार्ज कैप या मल्टी कैप
यहाँ कैप का मतलब मार्केट कैपिटलाइजेशन है | शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियां मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर छोटी-बड़ी होती है |इस प्रकार जो फण्ड ज्यादा मार्केट कैप वाले अच्छी कंपनियों में पैसा लगाती है उसे लार्ज कैप फण्ड कहते है | इसमें बाजार का उतार-चढाव थोड़ा कम होता है |
वहीं जो फण्ड मीडियम कैप व स्मालकैप वाले कंपनियों में पैसा लगाती है उसे क्रमशः मिड कैप व स्मालकैप फण्ड कहते है | इन फण्ड में बाज़ार के ऊपर-नीचें होने पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है |
सेक्टर फण्ड, डाइवर्सिफाइड फण्ड और थीमेटिक फण्ड
सेक्टर फण्ड का पैसा एक ही सेक्टर के कई कंपनियों में निवेश किया जाता है | जैसे आईटी, बैंकिंग, रिटेल, एग्रीकल्चर सेक्टर आदि | इसमें एक ही सेक्टर में इन्वेस्ट होने से निवेशक को जोखिम भी ज्यादा होता है |जबकि डाइवर्सिफाइड फण्ड में लगाया पैसा अलग-अलग सेक्टर के कंपनियों में इन्वेस्ट किया जाता है इसलिए इसमें जोखिम सेक्टर फण्ड की तुलना में कम हो जाता है |
थीमेटिक फण्ड का पैसा एक थीम को फॉलो करके लगाया जाता है | जैसे स्टार्टअप आदि |
एक्टिव फण्ड और पैसिव फण्ड
ये फण्ड पूरी तरह से फण्ड हाउस व फण्ड मैनेजर के इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी पर निर्भर करता है | अगर फण्ड मैनेजर कंपनियों का एनालिसिस व रिसर्च करके उसे अपने पोर्टफोलियो में रखता है तो ऐसे फण्ड को एक्टिव फण्ड कहते है |जबकि पैसिव फण्ड उसे कहते है जिसमे फण्ड मैनेजर इंडेक्स ( सेंसेक्स व निफ्टी आदि) के कंपनियों में निवेश करता है जिससे इसका रिटर्न भी इंडेक्स के समान ही आता है इसलिए इस फण्ड को इंडेक्स फण्ड भी कहते है|