क्या आप जानते है Income Fund क्या होता है ? और आपको Income Fund में कितने समय के लिए पैसे लगाने सही है? व Income fund के क्या-क्या फायदे है ? तो आइये देखते है इनकम फण्ड से जुड़ी सारी जानकारी को |
Income Fund उन निवेशकों के लिए बेहतर आप्शन होता है जो 4 साल के लिए व मीडियम रिस्क के साथ अपना पैसा निवेश करना चाहते है | सेबी के अनुसार इनकम फण्ड दो केटेगरी के हो सकते है
मीडियम से लॉन्ग टाइम - इस तरह के फण्ड में आप कभी भी पैसा लगा सकते है, यह फण्ड ओपन एंडेड डेब्ट फण्ड होता है | इस तरह के फण्ड का पैसा 4-7 वर्ष के लिए मनी मार्केट व बांड जैसे सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता है |
लॉन्ग टाइम - इस प्रकार के फण्ड में आप 7 से अधिक वर्ष के लिए अपना पैसा निवेश कर सकते है |
बेहतर रिटर्न - इनकम फण्ड में निवेश करने से आपको फिक्स्ड डिपाजिट से बेहतर रिटर्न मिलता है | बस फर्क सिर्फ इतना है कि इनकम फण्ड में इंटरेस्ट रेट रिस्क होता है, जबकि फिक्स्ड डिपाजिट में नही होता है |
लिक्विडिटी- इनकम फण्ड में फिक्स्ड डिपाजिट की तरह कोई फिक्स लॉक इन पीरियड नही होता है | एक निवेशक कभी भी एग्जिट लोड चार्ज को ध्यान में रखकर पैसे इनकम फण्ड से निकाल सकता है |
Income Fund क्या है (Income Fund in Hindi)
इनकम फण्ड एक प्रकार का डेब्ट फण्ड है, डेब्ट फण्ड जिसमे लगाया गया पैसा लॉन्ग टर्म के लिए डेब्ट सिक्योरिटीज जैसे गवर्मेंट बांड, डिबेंचर, कॉर्पोरेट बांड आदि में निवेश किया जाता है |Income Fund उन निवेशकों के लिए बेहतर आप्शन होता है जो 4 साल के लिए व मीडियम रिस्क के साथ अपना पैसा निवेश करना चाहते है | सेबी के अनुसार इनकम फण्ड दो केटेगरी के हो सकते है
मीडियम से लॉन्ग टाइम - इस तरह के फण्ड में आप कभी भी पैसा लगा सकते है, यह फण्ड ओपन एंडेड डेब्ट फण्ड होता है | इस तरह के फण्ड का पैसा 4-7 वर्ष के लिए मनी मार्केट व बांड जैसे सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता है |
लॉन्ग टाइम - इस प्रकार के फण्ड में आप 7 से अधिक वर्ष के लिए अपना पैसा निवेश कर सकते है |
Income Fund के लाभ
टैक्स लाभ- अगर आप इनकम फण्ड को लॉन्ग टर्म (3 वर्ष बाद ) के लिए होल्ड करके रखते है तो आपको इससे टैक्स लाभ मिलता है | इसमें आपको जनरल टैक्स स्लैब के बजाय लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होता है | लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में आप महंगाई को भी एडजस्ट कर सकते है |बेहतर रिटर्न - इनकम फण्ड में निवेश करने से आपको फिक्स्ड डिपाजिट से बेहतर रिटर्न मिलता है | बस फर्क सिर्फ इतना है कि इनकम फण्ड में इंटरेस्ट रेट रिस्क होता है, जबकि फिक्स्ड डिपाजिट में नही होता है |
लिक्विडिटी- इनकम फण्ड में फिक्स्ड डिपाजिट की तरह कोई फिक्स लॉक इन पीरियड नही होता है | एक निवेशक कभी भी एग्जिट लोड चार्ज को ध्यान में रखकर पैसे इनकम फण्ड से निकाल सकता है |