इस पोस्ट में हम जानने वाले है कि किसी कंपनी का रिटर्न ऑन कैपिटल एंप्लॉयड क्या है और यह ROCE किसी कंपनी के बारे में क्या बताता है | इसके साथ ही हम यह भी देखने वाले है कि ROCE निकालता कैसे है और ROCE व ROE में फर्क क्या है और हमें किसे कब प्रयोग करना है |
Return on Equity क्या है और कितना होना चाहिए ? Return on Equity ( ROE ) in Hindi
इस पोस्ट में हम जानने वाले है कि रिटर्न ऑन इक्विटी क्या है और किसी कंपनी में इन्वेस्टमेंट करने के लिए कितना होना सही है | इसके साथ हम यह भी जानने वाले है कि किसी कंपनी में रिटर्न ऑन इक्विटी कब देखना है और कब किसी कंपनी में रिटर्न ऑन इक्विटी देखना सही नहीं है |
Return on Equity क्या है (Return on Equity in Hindi)
रिटर्न ऑन इक्विटी या ROE एक प्रॉफिटेबिलिटी रेश्यो है जो यह बताता है कि कंपनी के शेयर होल्डर्स को उनके लगाये पैसे पर कितना कमाई हो रहा है या कहे कि कंपनी के शेयर होल्डर्स को खुद के पैसे पर कितना रिटर्न मिल रहा है | किसी भी कंपनी का रिटर्न ऑन इक्विटी जितना ज्यादा होता है यह शेयर होल्डर्स के लिए उतना ही अच्छा है|
Return on Equity कितना होना चाहिए ( Return on Equity Kitna Hona Chahiye )
जब भी हम कही अपना पैसा लगाते है या इन्वेस्ट करते है तो हम उस पर ज्यादा से ज्यादा रिटर्न कमाना चाहते है | इसी प्रकार यदि हम किसी कंपनी में पैसा लगा रहे है तो उस पर भी हम ज्यादा से ज्यादा रिटर्न कमाना चाहते है लेकिन यह ज्यादा कितना होने पर सही है 10%, 20% या और अधिक |
एक कंपनी में पैसा लगाने से पहले हम उस कंपनी का कमाई देखते है जो हमें रिटर्न ऑन इक्विटी से पता चलता है तो एक कंपनी का रिटर्न ऑन इक्विटी कितना हो जिससे हम उस कंपनी में अपना पैसा लगाये | हमें किसी कंपनी में कितना का रिटर्न का उम्मीद करना सही है |
रिटर्न ऑन इक्विटी कितना होना सही है इसका उत्तर अन्य इन्वेस्टमेंट के विकल्पों में छिपा हुआ है जैसे अगर हम फिक्स्ड डिपोजिट में अपना पैसा डालते है तो 7% रिटर्न मिलता है, सोना या जमीन खरीदते है तो 9से 10% रिटर्न लॉन्ग टर्म में मिलता है, म्यूच्यूअल फण्ड खरीदते है तो 12 से 15% मिलता है जिसमें रिस्क किसी कंपनी में निवेश करने से कम होता है तो अगर हम डायरेक्ट किसी कंपनी के शेयर खरीद कर रिस्क ले रहे तो इसका रिटर्न अन्य निवेश विकल्पों से अधिक होना ही सही है |
किसी कंपनी का रिटर्न ऑन इक्विटी 20% या अधिक होना सही है क्योंकि एक अच्छा सा म्यूच्यूअल फण्ड हमें 15% का रिटर्न दे सकता है तो डायरेक्ट किसी बिज़नस में 20% रिटर्न की उम्मीद करना गलत नहीं है |
Return on Equity कब देखना है ( Return on Equity Kab Dekhna Hai)
किसी भी कंपनी में अपने पैसे लगाने से पहले हमें उस कंपनी का अच्छे से एनालिसिस करना बहुत जरुरी होता है | जब हम कंपनी का एनालिसिस करते है तो हम उस कंपनी का कई फाइनेंसियल रेश्यो भी देखते है जिसमें से एक बहुत ही महत्वपूर्ण रेश्यो रिटर्न ऑन इक्विटी भी है |
रिटर्न ऑन इक्विटी किसी कंपनी के शेयर होल्डर्स के पैसे पर कमाए गए रिटर्न को बताता है मतलब कि रिटर्न ऑन इक्विटी शेयर होल्डर्स के पैसे से कमाए गए प्रॉफिट से कैलकुलेट किया जाता है और इसी कारण से जब भी हमें रिटर्न ऑन इक्विटी देखना है तो ऐसी कंपनी का देखना है जिस कंपनी में उधार बहुत कम हो |
क्योंकि रिटर्न ऑन इक्विटी के कैलकुलेशन में उधार के पैसे को शामिल नहीं किया जाता है मतलब कि जब भी हमें किसी कंपनी का रिटर्न ऑन इक्विटी देखना है तो ऐसी कंपनी का देखना है जिसने बहुत कम उधार लिया है या उस कंपनी ने उधार लिया ही नहीं है |
Blue Chip Companies क्या है | ब्लू चिप कंपनीयो की विशेषता | Blue Chip Companies in Hindi
ब्लू चिप क्या है (Blue Chip Kya Hai)
ब्लू चिप का इतिहास बहुत पुराना है, ब्लू चिप नाम, पोकर नाम के एक खेल से लिया गया है | पोकर खेल में ब्लू चिप सबसे मूल्यवान होता था |ब्लू चिप कंपनी क्या है (Blue Chip Companies in Hindi)
स्टॉक मार्केट में बड़ी कम्पनियों को, जो बड़ी हो गयी है और अपना बिज़नस आसानी से कर रही है| उन कंपनियो को ब्लू चिप कंपनी कहा जाता है |Blue Chip Companies का मार्केट कैपिटलाइजेशन ज्यादा होता है और इन कंपनियों के शेयर प्राइस में उतार-चढ़ाव कम होता है| इसके अतिरिक्त Blue Chip shares या companies की अर्निंग स्थिर व नियमित होती है|
ब्लू चिप स्टॉक का मार्केट वैल्यूएशन भी बहुत अधिक होता है, इसके साथ बाजार में गिरावट (बुलिश मार्केट ) के दौरान भी ब्लू चिप कंपनियों का रिटर्न, स्माल कैप व मिड कैप वाले कंपनियों से बेहतर होता है और इन्ही सब वजह से ब्लू चिप कंपनियों में निवेशकों का ज्यादा भरोसा होता है क्योकिं ये कंपनिया कई दशकों से बिज़नस कर रही होती है|
ब्लू चिप कंपनियों प्रॉफिट होने पर डिविडेंड देने के लिए भी बहुत फेमस होती है | और इसलिए ये कंपनिया निवेशको के लिए बहुत ही आकर्षक हो जाती है |
भारत में ब्लू चिप कम्पनी (Indian Blue Chip Companies)
भारत में कई Blue Chip Companies है, जिनका मार्केट कैपिटलाइजेशन अधिक है एवं लगातार अच्छा बिज़नस कर रहे है | आइये कुछ कंपनियों को देखते है|- Tata Consultancy Services (TCS)
- Infosys
- Indian Tobacco Company (ITC)
- State Bank of India (SBI)
Annual Report क्या है और एनुअल रिपोर्ट कैसे पढ़ें | Annual Report in Hindi
Annual Report क्या है ( Annual Report in Hindi)
Annual Report कंपनी के द्वारा हर साल Shareholders और इंटरेस्टेड पार्टीज के लिएफाइनेंसियल इयर के एंड में पब्लिश किया जाता है | Annual Report में कंपनी साल
भर यानि कि 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के business का लेखा जोखा हिसाब किताब देती है|
किसी कंपनी का सही , trusted और विश्वासनिय फाइनेंसियल डाटा लेने का सबसे अच्छा माध्यम एनुअल रिपोर्ट होता है |
अगर हम एनुअल रिपोर्ट पढना चाहते है तो हम एनुअल रिपोर्ट कंपनी की वेबसाइट या NSE, BSE की वेबसाइट से सॉफ्ट कॉपी के रूप में डाउनलोड करके पढ़ सकते है | यह एकदम फ्री होता है और कोई भी इसे डाउनलोड करके पढ़ सकता है |
Annual Report कैसे पढ़ें (Annual Report Kaise Padhe)
मार्केटिंग कंटेंट
जब भी आप किसी Annual Report को डाउनलोड करते है तो ये आवश्यक देखे कि कंपनी ने ज्यादा कलरफुल Annual Report तो नही बनाया मतलब क्या मार्केटिंग मटेरियल की तरह पेश किया है, मात्र इमेजेज तो नही रखे है |अगर ऐसा है तो वो कंपनी आपका ध्यान भटकना चाहती है ताकि आपसे वह फैक्ट्स को छुपा सके तो ऐसे कंपनियों से सावधान रहना आपकी जिम्मेदारी है |
फाइनेंसियल हाइलाइट्स
इस सेक्शन में कंपनी पिछले कई वर्षों के डाटा को हाईलाइट करता है...जिसमे ग्राफ, टेबल आदि का use करती है...इस सेक्शन में कंपनी के कई सालो के ऑपरेशन व् business performance को compare करती है |मैनेजमेंट स्टेटमेंट एंड Management Discussion and analysis
ये एनुअल रिपोर्ट के दो इम्पोर्टेन्ट सेक्शन है...इस सेक्शन से आपको पता लगता है कि कंपनी के मैनेजमेंट का business और इंडस्ट्री के प्रति क्या पर्सपेक्टिव है | यहाँ पर लिखे एक - एक शब्द को ध्यान से पढना इन्वेस्टर्स के लिए बहुत ही आवश्यक है |मैनेजमेंट स्टेटमेंट से आपको पता चलता है कि जो व्यक्ति टॉप में बैठा है उसका business के प्रति क्या विचार है, क्या मैनेजमेंट ट्रांसपेरेंट है या नही..कुछ गलत या सही आपसे छुपाया तो नही रहा है...कही मैनेजमेंट हवा में तो बात नही कर रहा है...ये सब को आपको ध्यान देना है…
Management डिस्कशन एंड एनालिसिस पुरे Annual Report का सबसे महत्वपूर्ण सेक्शन है...क्योकि यहाँ कंपनी इकॉनमी के मैक्रो ट्रेंड, देश की आर्थिक गतिविधियों, विश्व की आर्थिक गतिविधियों और बिज़नस सेंटिमेंट के बारे में बात करती है |
कंपनी यहाँ पर इंडस्ट्री व् business के फ्यूचर में क्या उम्कमीद करती है उसे भी चर्चा करती है |
शेयर होल्डिंग पैटर्न
कंपनी का कितना शेयर किसके पास है... प्रोमोटर्स ग्रुप ने अपनी shareholoding कम कि है या ज्यादा, घरेलू व विदेशी म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी ने कितने परसेंट शेयर होल्डिंग अपने पास रखी है| पब्लिक के पास कितना शेयर है |फाइनेंसियल स्टेटमेंट
यह सेक्शन किसी भी कंपनी का महत्वपूर्ण सेक्शन होता है जो कंपनी के फाइनेंसियल व बिज़नस की स्थिति को बताता है | इस सेक्शन में कंपनी के पुरे साल भर किये गये काम का हिसाब किताब रहता है -- Balance sheet statement
- Profit loss statement
- Cash flow statement
IPO Allotment कैसे चेक करें | IPO Allotment Kaise Check Kare
IPO में अप्लाई किया है, IPO Allotment भी हो गया है लेकिन यह कैसे पता करें कि आपको अलॉटमेंट मिला है या नहीं | इस पोस्ट में मैं बताने वाला हूँ कि आप किसी भी आईपीओ का अलॉटमेंट स्टेटस कैसे चेक कर सकते है |
आपने चाहे किसी भी कंपनी के आईपीओ में अप्लाई किया हो, कोई सा भी रजिस्ट्रार (kfintech, LinkIntime etc.) हो | इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको IPO Allotment Status चेक करना आ जाएगा |
IPO Allotment कैसे चेक करें (How to Check IPO Allotment )
IPO Allotment स्टेटस के लिए क्या चाहिए ( IPO Allotment Status Ke Liye Requirement)
आईपीओ अलॉटमेंट स्टेटस चेक करने के लिए दो चीज बहुत जरुरी होता है - पहला पैन नंबर और दूसरा एप्लीकेशन नंबर | जब भी आप किसी आईपीओ में अप्लाई करते है तो प्रोसेस पूरा होने के बाद उसमें एक Application नंबर मिलता है | यही दोनों चीज आईपीओ अलॉटमेंट स्टेटस चेक करने के लिए चाहिए |